पुस्तक :- पिता के पत्र
लेखक :- जवाहरलाल नेहरू
हिंदी अनुवादक :- प्रेमचंद
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जवाहर लाल नेहरू द्वारा लिखित पत्रों का यह संग्रह वास्तव में इतिहास के शुरुआती अध्ययनकर्ता के रूप में बेहद जरूरी है। खासकर उन स्कॉलर्स के लिए जो कि कुछ वक्त से इतिहास को नहीं पढ़ पा रहे हैं और पुनः इतिहास का अध्ययन विस्तृत रूप से करना चाहते हैं।
●हालांकि इस पुस्तक में नेहरू जी ने इतिहास की कोई गहरी खुदाई नहीं कि है, तो फिर इतिहास पढ़ने के लिए आवश्यक पुस्तकों की सूची में इस सामान्य से किताब को शामिल करना कैसे जरूरी हैं?
- यह किताब इतिहास के बारे में एक संक्षिप्त लेखनी है, जिसके जरिये नेहरू जी अपने ज्ञान का अद्यतन तो करना ही चाहते हैं, लेकिन साथ-ही-साथ यह भी चाहते हैं कि उनकी पुत्री के मन में इतिहास का विराट रूप समा जाये और वह इसे जानने के लिए जिज्ञासु बनी रहे।
● इस छोटी से किताब में हम इतिहास की विभिन्न अवधारणाओं का प्राथमिक रूप देख सकते हैं।
चाहे हम पृथ्वी निर्माण की बात कर रहे हों अथवा भौगोलिक विभाजन, प्रागैतिहासिक काल, मध्यकाल, मानव जाति के उदय, सभ्यता निर्माण, जातियों, बोलियों अथवा स्थापत्य संबंधी बात कर रहे हों। यह पुस्तक उपरोक्त सभी विषयों के बारे में एक प्राथमिक राय का निर्माण कर देती है जो कि बाद में किये जाने वाले किन्हीं अन्य पुस्तकों के विस्तृत अध्ययन से पहले एक बेस का निर्माण कर देती हैं।
● हालांकि यह पुस्तक सभी जिज्ञासाओं की पूर्ति करने में सक्षम तो नहीं हैं परन्तु नवीन जिज्ञासाएँ मन में जगा देती है जिनकी पूर्ति के लिए हमें लगातार अनुसंधान करने होंगे।
इस पुस्तक के सीमित होने का कारण इसे पत्र शैली में लिखना है।