पुस्तक :- पिता के पत्र
लेखक :- जवाहरलाल नेहरू
हिंदी अनुवादक :- प्रेमचंद
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पुस्तक :- पिता के पत्र
लेखक :- जवाहरलाल नेहरू
हिंदी अनुवादक :- प्रेमचंद
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Vidyanjali is an initiative taken by the Ministry of Education, Government of India with the aim to strengthen Schools through community and private sector involvement in schools across the country. This initiative would connect schools with varied volunteers from the Indian Diaspora namely, young professionals, retired teachers, retired Government officials, retired professionals, NGOs, Private Sector and Public Sector Companies, Corporate Institutions and many others.
गोदान ( Godan ) मुंशी प्रेमचंद का एक हिंदी उपन्यास है जिसमे 20 सदी के रुढ़िवादी समाज का जिवंत चित्रण किया गया है ! Godan में भारतीय किसान का अद्भुत चित्रण किया गया है जिसमे दिखाया गया है कि वह कैसे अपने परिवार को पालने के लिए सेठ , साहुकारो , जमींदारो आदि के शोषण का शिकार होता है और अपनी पूरी जिंदगी भय और निराशा के साथ गुजारता है !
गोदान में बताया गया है कि कैसे एक भारतीय किसान अपनी छोटी – छोटी जरूरतों के लिए साहुकारो से ऋण लेता है और हमेशा उस कर्ज को चुकाने के लिए निराशा में अपनी सम्पूर्ण जिंदगी गुजार देता है ! इसमें बताया गया है कि कैसे जमीदार , मील के मालिक , पेशेवर वकील , राजनेता लोग आदि अनपढ़ और नासमझ किसानो का शोषण करते है !
गोदान में लेखक प्रेमचंद ने जो भी बाते कही है वे सब एक संदर्भ में कही है जो आज भी उतना ही महत्वपूर्ण रखती है जितना वो पहले रखती थी ! गोदान में लेखक ने महाजनों , साहुकारो आदि पर तीखे प्रहार किये है और बताया है कि एक किसान को पूरी जिंदगी इनके चक्कर लगाने में गुजारनी पड़ती है !
मुंशी प्रेमचंद जी एक बहुत बड़े कहानीकार और उपन्यासकार के रूप में जाने जाते है ! उनकी कहानियां और उपन्यास आज भी समाज को एक अच्छा सन्देश देती है ! गोदान प्रेमचंद जी का एक बहुत ही शानदार उपन्यास है ! गोदान ( Godan ) में लेखक ने हमारे समाज की कुंठा , निराशा , ऋणग्रस्तता आदि का बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है ! प्रेमचंद जी ने गोदान के जरिये यह बताने का प्रयास किया है कि भारतीय किसान साहुकारो के चंगुल में फसकर कर्ज का शिकार रहा है और अपने परिवार का पेट पालने की चिंता में ही अपना जीवन गुजर देता है !
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